परिचय:
बढ़ते प्रदूषण और सीमित जीवाश्म ईंधनों के कारण विश्व अब स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर है। इसी पृष्ठभूमि में हाइड्रोजन ईंधन ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। पेट्रोल, डीज़ल या सीएनजी की तुलना में यह ईंधन शून्य प्रदूषण, उच्च दक्षता और त्वरित रिफ्यूलिंग की सुविधा प्रदान करता है।
हाइड्रोजन ईंधन क्या है?
हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे हल्का और सर्वाधिक उपलब्ध तत्व है। इसे ईंधन के रूप में उपयोग करने पर यह अत्यंत स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करता है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इस प्रक्रिया में केवल पानी और ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे कोई कार्बन डाइऑक्साइड या प्रदूषक नहीं बनता।
रासायनिक अभिक्रिया:
2H₂ + O₂ → 2H₂O + ऊष्मा + विद्युत
हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन:
• इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन उनमें कुछ सीमाएँ हैं —
• चार्जिंग में अधिक समय लगता है
• प्रति चार्ज दूरी सीमित होती है
• बैटरी की कार्यक्षमता समय के साथ घटती है
इसके विपरीत, हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन (FCEVs) केवल 2–3 मिनट में रिफ्यूल हो सकते हैं और 500–700 किमी की रेंज प्रदान करते हैं। इनसे केवल जलवाष्प निकलता है, जिससे यह पूरी तरह प्रदूषणमुक्त होते हैं।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा:
भारत की ऊर्जा आवश्यकताएँ आज भी पेट्रोलियम आयात पर निर्भर हैं। वैश्विक युद्धों, आर्थिक प्रतिबंधों और तेल बाजार की अस्थिरता के कारण ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होती है।
इसलिए भारत ने 2047 तक ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (2023):
भारत सरकार का उद्देश्य:
1. 2030 तक प्रति वर्ष 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन
2. उद्योग, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग बढ़ाना
3. भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यातक बनाना
4. सौर और पवन ऊर्जा से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन
हाइड्रोजन उत्पादन के प्रकार:
1. प्रकार: ब्राउन हाइड्रोजन
स्रोत: कोयला
विशेषता: अधिक प्रदूषण
2. प्रकार: ग्रे हाइड्रोजन
स्रोत: प्राकृतिक गैस
विशेषता: प्रदूषणकारी
3. प्रकार: ब्लू हाइड्रोजन
स्रोत: गैस + कार्बन कैप्चर
विशेषता: कम प्रदूषण
4. प्रकार: ग्रीन हाइड्रोजन
स्रोत: सौर/पवन ऊर्जा आधारित
विशेषता: इलेक्ट्रोलिसिस पूरी तरह स्वच्छ
फायदे:
• शून्य प्रदूषण (केवल पानी उत्सर्जन)
• उच्च ऊर्जा दक्षता
• 2–3 मिनट में रिफ्यूलिंग
• लंबी रेंज (500–700 किमी)
• ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
चुनौतियाँ:
• उत्पादन और भंडारण महंगा
• सुरक्षा जोखिम (लीकेज)
• हाइड्रोजन स्टेशन सीमित
• उच्च तकनीकी लागत
भविष्य की संभावनाएँ:
• हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग केवल वाहनों तक सीमित नहीं है
• उद्योग: इस्पात, सीमेंट, उर्वरक
• ऊर्जा उत्पादन: बैकअप पावर, ग्रिड स्थिरीकरण
• समुद्री और हवाई क्षेत्र: नौकाएँ, पनडुब्बियाँ, ड्रोन
निष्कर्ष:
हाइड्रोजन ईंधन भारत के स्वच्छ, सतत और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य का आधार बन सकता है। यह हरित ऊर्जा, आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय संतुलन को एक साथ साधने का माध्यम है।
“हाइड्रोजन केवल भविष्य का ईंधन नहीं — यह आत्मनिर्भर भारत का ईंधन है।”

