परिचय:
भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है: तेजी से तकनीकी परिवर्तन (विशेष रूप से AI), जलवायु की चुनौतियाँ, वैश्विक अस्थिरता, और बढ़ती असमानता सभी नीति पुनर्विचार की आवश्यकता को जन्म देते हैं। संघीय बजट 2025–26 और संबंधित सुधार इस दिशा में एक रोडमैप प्रदान करते हैं, जो विकास, समावेश और स्थिरता के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह आलेख MSMEs, स्टार्टअप्स, डिजिटल वित्त, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास में संरचनात्मक मुद्दों और भविष्य की नीति विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करता है।
बजट 2025–26: मुख्य विशेषताएँ और रणनीतिक बदलाव:
सकल लक्ष्य और वित्तीय ढांचा:
● 2025–26 के लिए कुल व्यय ₹50,65,345 करोड़ निर्धारित, जो संशोधित 2024–25 की तुलना में 7.4% अधिक है।
● राजस्व प्राप्तियाँ (ऋण को छोड़कर) ₹34,96,409 करोड़ अनुमानित, लगभग 11.1% की वृद्धि।
● ऋण ₹15,68,936 करोड़ निर्धारित, संशोधित अनुमानों के मुकाबले स्थिर।
● वित्तीय घाटा GDP का 4.4% लक्षित, 2024–25 में 4.8% (संशोधित) से कम।
● राजस्व घाटा ≤1.5% GDP, गैर-पूंजीगत व्यय में मामूली संकुचन को दर्शाता है।
● 2025–26 के लिए नाममात्र GDP वृद्धि 10.1% लक्ष्यित।
इस प्रकार, बजट में संतुलित वित्तीय समेकन को दर्शाया गया है: सीमित घाटा कमी, स्थिर उधारी, और पूंजी व्यय पर जोर।
पूंजी व्यय, अवसंरचना और निजी भागीदारी:
● पूंजी व्यय 10.1% बढ़ने का अनुमान, राजस्व व्यय (6.7%) से अधिक।
● अवसंरचना क्षेत्रों के लिए ~₹11.21 लाख करोड़ (केंद्र और राज्य संयुक्त) आवंटन, “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण को समर्थन।
● निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नीति संशोधन जैसे Viability Gap Funding, Risk Sharing और concessional वित्तपोषण की संभावना।
पूंजी व्यय पर यह जोर विकास रणनीति का केंद्र है: सार्वजनिक निवेश के माध्यम से निजी निवेश को उत्प्रेरित करना, संसाधन जुटाना, रोजगार सृजन और दीर्घकालिक उत्पादकता वृद्धि के लिए आधार तैयार करना।
संघीय बजट सुधार और संरचनात्मक उपाय:
● बजट भाषण में प्रमुख क्षेत्र: विनिर्माण / Make in India, MSMEs का समर्थन, समावेशी विकास, कृषि और ग्रामीण लचीलापन, रोजगार-आधारित विकास, नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था।
● राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की घोषणा, औद्योगिक विकास को नई गति देने के लिए।
● कर नीति में “मध्यम वर्ग” को राहत देने के लिए व्यक्तिगत आयकर स्लैब में समायोजन।
● विनिवेश लक्ष्य ₹47,000 करोड़, पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा कम, सरकारी हिस्सेदारी बेचने में सतर्क दृष्टिकोण।
● राज्यों को पूंजी व्यय के लिए विशेष ब्याज-मुक्त ऋण ₹1,50,000 करोड़ आरक्षित।
ये संरचनात्मक सुधार “आत्मनिर्भर भारत 2.0” मॉडल को नई गति देने के लिए हैं।
मुख्य विषयगत मुद्दे और नीति विश्लेषण:
1. FRBM 2.0 – नया वित्तीय समझौता:
● मौजूदा FRBM अधिनियम वित्तीय पैरामीटर पर सीमा निर्धारित करता है। FRBM 2.0 में लचीलापन, चक्रीय समायोजन और आपातकालीन प्रावधान शामिल होना आवश्यक।
● घाटा से ऋण लक्ष्य तक संक्रमण: 2026–27 से GDP अनुपात ऋण पर ध्यान।
● हरित/SDG निवेश को शामिल करना।
● पारदर्शिता, जवाबदेही और बचाव प्रावधान।
2. GST सुधार और “GST 2.0”:
● टैक्स स्लैब में पुनः समायोजन, अनुपालन सुधार, आधार का विस्तार।
● हाल की सुधार में कुछ दरों में कमी (₹45,000 करोड़) से आंशिक संतुलन।
● उद्देश्य: घरेलू मांग को प्रोत्साहित करना।
● चुनौती: राजस्व अस्थिरता, राज्यों को मुआवजा, मुकदमेबाजी कम करना, तकनीकी सुधार।
3. स्टार्टअप्स, डीप टेक और प्रौद्योगिकी-आधारित विकास:
● भारत में ~120 यूनिकॉर्न्स, 32,000+ स्टार्टअप्स, ~2,000 नए प्रति वर्ष।
● 50% स्टार्टअप्स टियर-2/3 शहरों से।
● सरकार का समर्थन: Design Linked Incentive (DLI), AI, Robotics, Biotech, Agri-Tech में अवसर।
नीति सुझाव: सार्वजनिक–निजी इनक्यूबेटर, बीज निधि, तकनीकी बुनियादी ढांचा, जोखिम पूंजी, नवाचार क्लस्टर, लगातार स्किलिंग।
4. MSMEs और AI युग में रोजगार:
● MSMEs रोजगार और स्थानीय मूल्य श्रृंखला के स्तंभ।
● RAMP योजना से MSME वृद्धि और उत्पादकता में वृद्धि।
● चुनौती: नौकरी ध्रुवीकरण, उच्च-कौशल और निम्न-कौशल कार्य।
● नीति: AI/ऑटोमेशन अपनाने, अपस्किलिंग, क्रेडिट और जोखिम पूंजी, सार्वजनिक खरीद में MSME को प्राथमिकता।
5. ग्रीन बॉन्ड्स, सतत वित्त और जलवायु लचीलापन:
●《ग्रीन, सोशल, सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड डेट तेजी से बढ़ा (~USD 55.9 बिलियन)।
● ग्रीन कैपिटल गैप: ~USD 11 ट्रिलियन।
● नीति: ग्रीन बॉन्ड मानकीकरण, प्रोत्साहन, परियोजना पाइपलाइन मजबूत करना, ब्लेंडेड फाइनेंस मॉडल।
6. डिजिटल रुपया, क्रिप्टो नियमावली और डिजिटल वित्त:
● डिजिटल रुपया (CBDC) परीक्षण/रोलआउट में।
● लाभ: कम लेनदेन लागत, वित्तीय समावेशन, नीतिगत प्रभाव, ब्लैक इकॉनमी में कमी।
● चुनौतियाँ: गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, बैंकिंग प्रणाली पर प्रभाव।
● क्रिप्टो: सावधानीपूर्वक विनियमन, AML/KYC, लेनदेन कर, पूंजीगत लाभ।
7. ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि सुधार और समावेशी विकास:
● 2025–26 बजट में ग्रामीण विकास और जल शक्ति मंत्रालय के लिए अधिक आवंटन।
● सुधार: सिंचाई, कृषि यंत्रीकरण, कृषि बाजार, मूल्य श्रृंखला, विस्तार सेवाएँ, जलवायु अनुकूलन।
समावेशी विकास: बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), असमानता माप, अधूरा रोजगार और संसाधन अंतर को शामिल करना।
8. आय असमानता और गरीबी सुधार:
● असमानता: उपभोग, संपत्ति, मानव पूंजी, अवसर।
●《बजट सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण योजनाओं के माध्यम से कमी का प्रयास।
● नीति: प्रगतिशील कर, सामाजिक सुरक्षा, कौशल हस्तांतरण, लक्षित रोजगार।
9. मुद्रास्फीति और RBI नीति:
● वैश्विक वस्तु मूल्य, आपूर्ति श्रृंखला, मानसून और मुद्रा उतार-चढ़ाव के कारण मुद्रास्फीति।
● RBI नीति: मुद्रास्फीति नियंत्रण और विकास समर्थन के बीच संतुलन।
10. रोजगार चुनौतियाँ:
● जनसांख्यिकीय लाभ तब तक अवसर बन सकता है जब तक कौशल विकास के अनुरूप नौकरी।
● नियोक्ताओं और स्वरोजगार क्षेत्र में AI और ऑटोमेशन के प्रभाव।
● नीति: कौशल विकास, श्रम-सघन उद्योग प्रोत्साहन, सामाजिक सुरक्षा, स्टार्टअप–रोजगार लिंक।
11. आत्मनिर्भर भारत 2.0, विनिर्माण और PLI योजना:
● PLI योजनाओं के माध्यम से मुख्य क्षेत्रों में विनिर्माण प्रोत्साहन।
बजट 2025–26 में नई प्रोत्साहन और कर छूट:
● पूंजीगत सामान, LED TV, टेक्सटाइल लूम, EV घटक।
● आपूर्ति श्रृंखला, खनिज, लॉजिस्टिक्स, शक्ति, R&D, गुणवत्ता प्रमाणन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर ध्यान।
समीक्षा: जोखिम, व्यापार-बंद और भविष्य की राह
1. राजस्व जोखिम और वित्तीय कठोरता।
2. ऋण स्थिरता और ब्याज बोझ।
3. कार्यान्वयन बाधाएँ: राज्यों की क्षमता, भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी।
4. पहुँच असमानता और डिजिटल विभाजन।
5. वैश्विक चुनौती और बाहरी अस्थिरता।
6. तकनीकी व्यवधान: AI और ऑटोमेशन।
7. जलवायु झटके और वित्तीय दबाव।
निष्कर्ष और मुख्य नीति रोडमैप:
1. FRBM 2.0 लागू करें: लचीलापन, ऋण आधार, बचाव प्रावधान।
2. GST 2.0 मजबूत करें: अनुपालन, स्लैब समायोजन, राजस्व स्थिरता।
3. MSME/स्टार्टअप इकोसिस्टम को गहरा करें: पूंजी, तकनीक, इंक्यूबेशन, कौशल उन्नयन।
4. ग्रीन फाइनेंस विस्तार: ग्रीन बॉन्ड्स और सतत ऋण।
5. डिजिटल रुपया रोलआउट: निजी डिजिटल वित्त के साथ सह-अस्तित्व; क्रिप्टो का सावधानीपूर्वक विनियमन।
6. ग्रामीण विकास और कृषि सुधार।
7. समावेशी विकास मेट्रिक्स पर ध्यान: बहुआयामी गरीबी सूचकांक, सामाजिक क्षेत्र में निवेश।
8. AI व्यवधानों का पूर्वानुमान: पुनः कौशल, भविष्य के रोजगार क्षेत्र।
9. मैक्रो स्थिरता की निगरानी।
10. राज्यों और स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन और जवाबदेही मजबूत करना।
UPSC/MPSC के लिए यह विषयगत विश्लेषण प्रश्नों का उत्तर देने में मदद करता है जैसे:
● “Budget 2025 को समावेशी विकास की दृष्टि से समालोचनात्मक रूप से जांचें।”
● “AI युग में रोजगार में MSMEs की भूमिका पर चर्चा करें।”
● “भारत की नीति रूपरेखा के दृष्टिकोण से ग्रीन फाइनेंस और सतत विकास की चुनौतियों की समीक्षा करें।”
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