भारत में संवैधानिक एवं प्रशासनिक सुधार (2025–26)

भारत में संवैधानिक एवं प्रशासनिक सुधार (2025–26): वक्फ संशोधन अधिनियम, समान नागरिक संहिता, नागरिकता कानून और संघवाद की चुनौतियाँ

भारत में संवैधानिक एवं प्रशासनिक सुधार (2025–26): वक्फ संशोधन अधिनियम, समान नागरिक संहिता, नागरिकता कानून और संघवाद की चुनौतियाँ:

1. वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 — पारदर्शिता और अल्पसंख्यक अधिकार:
इस अधिनियम का उद्देश्य देशभर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। संशोधन के अनुसार अब डिजिटल रजिस्ट्रेशन, समयबद्ध सर्वेक्षण, और राज्य स्तरीय लेखा परीक्षण आवश्यक होगा।

विवाद:
सरकार इसे पारदर्शिता का कदम मानती है, जबकि आलोचक कहते हैं कि इससे धार्मिक संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा। अभ्यर्थियों को इसे अनुच्छेद 26, अनुच्छेद 30, और अनुच्छेद 300A के संदर्भ में समझना चाहिए।

2. समान नागरिक संहिता (UCC) — समानता बनाम विविधता:
अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य का कर्तव्य है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करे। इसका उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के कानूनों को एक समान बनाना है।
समर्थक इसे लैंगिक समानता और राष्ट्रीय एकता का साधन मानते हैं, जबकि विरोधी इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं।

3. नागरिकता और CAA — मानवता और संप्रभुता का संतुलन:
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) अब भी विवादित है। समर्थक इसे शरणार्थी अल्पसंख्यकों के संरक्षण हेतु मानवीय कदम बताते हैं, जबकि आलोचक इसे धर्म आधारित विभाजन मानते हैं।
अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 इसके संवैधानिक आधार हैं। UPSC में इसे NRC, शरणार्थी नीति, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों से जोड़कर पूछा जा सकता है।

4. संघवाद, केंद्र–राज्य संबंध और न्यायिक अतिक्रमण;
हाल के वर्षों में राज्यपालों की भूमिका, राजस्व बँटवारा, और न्यायिक हस्तक्षेप पर बहस बढ़ी है। अभ्यर्थियों को अनुच्छेद 245–263, वित्त आयोग रिपोर्टें, और एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ जैसे मामलों का गहन अध्ययन करना चाहिए।
संघवाद का भविष्य अब सहकारी संघराज्य की अवधारणा पर निर्भर करता है।

5. राष्ट्रपति की शक्तियाँ और निर्वाचन क्षेत्र पुनर्निर्धारण:
राष्ट्रपति की वीटो शक्तियाँ, अध्यादेश अधिकार, और संवैधानिक संकट में भूमिका UPSC की दृष्टि से प्रमुख विषय हैं। 2026 के बाद होने वाला Delimitation राजनीतिक संतुलन को नया आकार दे सकता है।

निष्कर्ष:
UPSC 2026 में वैधानिक तथ्यों से अधिक, विश्लेषणात्मक सोच की परीक्षा होगी। अभ्यर्थियों को संविधान की आत्मा — अधिकार, कर्तव्य, और विविधता में एकता — को समझना होगा।

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